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आईआईटी मद्रास की एक शोधकर्ता टीम ने एक कम लागत वाला बायोसेंसर प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया है, जो गर्भवती महिलाओं में प्री-एक्लेम्पसिया जैसी गंभीर स्थिति की जांच के लिए उपयोग किया जा सकता है। यदि इसका समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा एक्लेम्पसिया में बदल सकती है। एक्लेम्पसिया, जिसमें गर्भावस्था के दौरान दौरे (सीज़र्स) आते हैं, मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। यह नया डायग्नोस्टिक डिवाइस साइट पर ही जल्दी और सस्ती जांच की सुविधा देता है, जो समय पर पहचान और त्वरित हस्तक्षेप के लिए विशेष रूप से कम संसाधन वाले क्षेत्रों में बेहद आवश्यक है। परियोजना वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक को भविष्य में कैंसर और अल्ज़ाइमर जैसी अन्य बीमारियों की पहचान के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है। यह नवाचार मातृ स्वास्थ्य सेवा और निदान की उपलब्धता के क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।